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ख्याब – आखिरी पन्ना
आँखों में अब ख्वाब कहाँ जब रातों में नींद नहीं सपने भी अब देखे कैसे जब अपना कोई चाँद नहीं । खूब अँधेरी रातें हैं पर चाँद की चाँदनी है नहीं तारे गिन कर रात कटी चाँद …